Discover the complete method of OSHO Kundalini Meditation – a powerful energy awakening practice designed by Osho for the modern seeker. This one-hour dynamic meditation helps you release suppressed emotions, activate your kundalini energy, and experience deep inner stillness.
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क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ एक घंटा — हां, सिर्फ एक घंटा — आपकी पूरी जिंदगी बदल सकता है?
अगर आप OSHO को जानते हैं, तो आप जानते होंगे कि उनका हर एक Meditation सिर्फ ध्यान नहीं... एक जागृति है।
और आज हम बात कर रहे हैं OSHO Kundalini Meditation की — ओशो द्वारा बताया गया एक ऐसा ध्यान, जो आपके भीतर की दबी हुई ऊर्जा को हिलाता है, उठाता है, और ऊपर की ओर प्रवाहित करता है।
ये Kundalini Dhyan सिर्फ बैठकर आंखें बंद करने का नाम नहीं है...
ये है थरथराना, नाचना, मौन में उतरना — ये है एक Transformation।
यह ध्यान सूर्यास्त या देर दोपहर के समय करना सबसे उपयुक्त होता है। पहले दो चरणों में जब आप पूरी तरह से थरथराने और नृत्य में डूब जाते हैं, तो आपके भीतर की वह चट्टान जैसी ठोसता पिघलने लगती है – जहाँ भी ऊर्जा का प्रवाह दबा या अवरुद्ध रहा है, वह मुक्त होने लगता है।
उसके बाद यह ऊर्जा बह सकती है, नृत्य कर सकती है और आनंद तथा उल्लास में परिवर्तित हो सकती है।
अंतिम दो चरण इस ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी दिशा में ले जाते हैं, मौन की ओर। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
यह दिन के अंत में स्वयं को शांत और मुक्त करने का एक अत्यंत प्रभावशाली तरीका है।
तो आइए अब हम समझते हैं इस ध्यान के चार चरण – एक-एक करके:
🔶 पहला चरण – 15 मिनट | थरथराहट (Shaking)
इस चरण में आपको बस खड़े रहना है, शरीर को ढीला छोड़ देना है और महसूस करना है कि ऊर्जा पैरों से ऊपर की ओर उठ रही है।
शरीर को थरथराने दें – जब वह स्वयं हिलने लगे, तो उसे समर्थन दें, लेकिन उसे जबरदस्ती मत करें।
आपकी आँखें खुली भी रह सकती हैं, या बंद भी – जैसे आपको सहज लगे।
ओशो कहते हैं – Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
“यदि आप ओशो कुंडलिनी ध्यान कर रहे हैं, तो थरथराहट को आने दें – खुद से उसे मत करें! चुपचाप खड़े रहें, और जब शरीर थोड़ा कांपना शुरू करे, तब उसे होने दें। जबरदस्ती न करें।
अगर आप उसे करेंगे, तो वह सिर्फ एक व्यायाम बन जाएगा। वह केवल सतह पर रहेगा, भीतर नहीं उतरेगा। आप ‘करने वाले’ रहेंगे और शरीर बस अनुसरण करेगा। लेकिन यहां शरीर नहीं, ‘आप’ ही प्रश्न हैं।
थरथराहट ऐसी होनी चाहिए कि आपके भीतर की चट्टानें भी हिल जाएँ। और जब भीतर की कठोरता पिघलती है, शरीर स्वयं उसका अनुसरण करता है। तब कोई ‘करने वाला’ नहीं होता – केवल ‘होना’ होता है।”
इस चरण में जब आप पूरी भावना से खुद को थरथराने देते हैं, तो वर्षों से दबा हुआ तनाव और ऊर्जा बाहर आने लगती है।
🔶 दूसरा चरण – 15 मिनट | नृत्य (Dance) Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
अब जो ऊर्जा भीतर से मुक्त हुई है, वह नाचना चाहती है – तो उसे आज़ादी दीजिए।
अपनी आँखें खुली या बंद रखें, और अपने शरीर को जैसे मन करे वैसे नृत्य करने दें।
यह नृत्य किसी नियम या शैली में नहीं होना चाहिए – बस सहजता से, आनंदपूर्वक।
ओशो कहते हैं – Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
“आनंद से नृत्य करो, क्योंकि जितना अधिक आनंदित होंगे, उतनी ही ऊर्जा ऊपर उठेगी। और जैसे-जैसे ऊर्जा ऊपर जाती है, आनंद और बढ़ता है।”
इस चरण में ओशो कुंडलिनी ध्यान पूरी ऊर्जा के साथ खिलता है – यह वह समय है जब आप भीतर से उड़ने लगते हैं।
🔶 तीसरा चरण – 15 मिनट | साक्षी भाव (Witnessing)
अब शरीर थक गया है, ऊर्जा ऊपर की ओर बह चुकी है – अब समय है शांत बैठने का या खड़े रहने का।
आँखें बंद करें और बस साक्षी बनें – जो भीतर हो रहा है, या बाहर हो रहा है, उसे देखें – बिना प्रतिक्रिया दिए।
ओशो कहते हैं – Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
“इस समय बैठना उपयोगी होता है, जिससे शरीर लुप्त हो जाए और केवल रीढ़ (spine) शेष रहे। ऊर्जा अब मेरुदंड के माध्यम से ऊपर की ओर प्रवाहित होती है, और सारी ऊर्जा उसमें एकत्र होती है।”
यह चरण ओशो कुंडलिनी ध्यान की गहराई में उतरने का है – जहां शरीर नहीं, केवल चेतना बचती है।
🔶 चौथा चरण – 15 मिनट | स्थिरता और मौन (Silence and Stillness)
अब आप ध्यान की अंतिम अवस्था में हैं।
आँखें बंद रखें, और शांति से लेट जाएँ। यदि आप चाहें तो बैठकर भी रह सकते हैं – लेकिन पूरी तरह स्थिर रहें।
इस समय कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है – बस मौन में डूब जाएँ।
अब शरीर, मन, ऊर्जा – सब कुछ शांत है। केवल मौन, केवल अस्तित्व शेष है।
यही है ओशो कुंडलिनी ध्यान की पूर्णता – जहां कोई प्रयास नहीं, कोई क्रिया नहीं – केवल गहराई से होना है।
📌 महत्वपूर्ण सुझाव – स्वयं ओशो की ओर से: Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
थरथराहट (Shaking) को ज़बरदस्ती मत करें – उसे केवल आने दें।
नृत्य (Dance) में स्वयं को पूरी तरह छोड़ दें – शरीर को जो करना है, करने दें।
साक्षी भाव (Witnessing) में खुद को एक दर्शक के रूप में देखें – जो कुछ भी हो रहा है, उसे बस होते हुए देखें।
और अंत में स्थिरता और मौन (Stillness) में डूब जाएँ – वहाँ कोई 'करने वाला' नहीं होता।
🎧 संगीत की बात करें तो – Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
इस ध्यान के साथ विशेष Osho Kundalini Meditation Music होता है – यह संगीत प्रत्येक चरण की ऊर्जा को गहराई से सहयोग करता है।
आप इसे Osho International की वेबसाइट, ऐप या YouTube पर ढूँढ सकते हैं।
ये था पूरा OSHO Kundalini Meditation — एक ऐसी ध्यान प्रक्रिया जो केवल शरीर को नहीं हिलाती, बल्कि आपकी आत्मा तक को झकझोर देती है...
जब आप इसे रोज़ाना करते हैं, तो सिर्फ बाहर की थकान नहीं उतरती — भीतर की जड़ता, बंद दरवाज़े, दबी हुई भावनाएं... सब पिघलने लगती हैं।
Kundalini की ऊर्जा जब बहने लगती है, तो जीवन सिर्फ चलता नहीं — नाचने लगता है।
याद रखिए – Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
“ध्यान कोई क्रिया नहीं, यह आपका स्वभाव है। बस उसे याद दिलाने की ज़रूरत है।” — OSHO
जय ओशो 🙏✨ Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh