Kashyap Gita: Power of Forgiveness in Mahabharata, Supreme Dharma Gita Gyan. Kashyap Gita, embedded in the Mahabharata, highlights the transformative power of forgiveness (Kshama) and its role in upholding Supreme Dharma. Through this sacred discourse, sage Kashyap emphasizes that true strength lies in compassion, patience, and the ability to forgive, which leads to inner peace, spiritual growth, and harmony. It teaches that forgiveness purifies the heart, neutralizes negative karma, and elevates one’s soul toward higher consciousness and Moksha (liberation). Kashyap Gita’s timeless lessons inspire seekers to embrace divine virtues and live in alignment with Sanatan Dharma. 🕉️✨
महाभारत के इस प्रसंग में महर्षि काश्यप क्षमा के महत्व का उपदेश देते हैं। वे बताते हैं कि क्षमा ही धर्म, यज्ञ, वेद, सत्य और तपस्या है तथा यह सम्पूर्ण संसार क्षमा के आधार पर ही स्थित है। जो व्यक्ति क्षमा को अपनाता है, वही परम लोक को प्राप्त करता है।
महाभारत में क्षमा को परम धर्म बताया गया है। युद्ध के पश्चात उत्पन्न परिस्थिति में जब युधिष्ठिर द्रौपदी को क्रोध से निवृत्त करने का प्रयास कर रहे थे, तब महर्षि काश्यप द्वारा कहे गए क्षमा के इन श्लोकों का उल्लेख किया गया। इन गाथाओं में क्षमा का स्वरूप, उसका प्रभाव और उसकी महिमा विस्तृत रूप से वर्णित है।
महर्षि काश्यप बोले -
हे कृष्ण! प्राचीन काल में क्षमाशील महान पुरुषों के लिए जो गाथाएँ कही गई थीं, उन्हें सुनो।
क्षमा ही धर्म है, क्षमा ही यज्ञ है, क्षमा ही वेद और श्रुति है। जो व्यक्ति इस सत्य को भलीभाँति जानता है, वही पूर्ण रूप से क्षमा करने में सक्षम होता है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
क्षमा ही ब्रह्म है, क्षमा ही सत्य है, क्षमा ही भूत और भविष्य है। क्षमा ही तप है, क्षमा ही शुद्धता है और इसी क्षमा के आधार पर सम्पूर्ण जगत स्थित है।
जो लोग महान यज्ञों के फलस्वरूप उत्तम लोकों की प्राप्ति करते हैं, वे भी क्षमाशील जनों के लोकों को ही प्राप्त करते हैं।
ब्रह्मविद्या के ज्ञानी और तपस्वी भी अपने-अपने लोकों को प्राप्त करते हैं, किंतु क्षमाशील पुरुष ब्रह्मलोक में सर्वोच्च स्थान पाते हैं।
यज्ञकर्म करने वालों के लिए एक प्रकार के लोक हैं, कर्मयोगियों के लिए अन्य लोक हैं, परंतु क्षमा का आचरण करने वालों के लिए सर्वोच्च पूजनीय ब्रह्मलोक उपलब्ध होता है।
क्षमा ही तेजस्वियों का तेज है, क्षमा ही तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा ही सत्य का मूल है, क्षमा ही यज्ञ का आधार है और क्षमा ही परम शांति है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
हे कृष्ण! जब ब्रह्म, सत्य और यज्ञलोक क्षमा में स्थित हैं, तो फिर हम जैसे पुरुष इसे कैसे त्याग सकते हैं?
जो पुरुष समस्त विषयों में क्षमा का पालन करता है, वह अंततः ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है।
जो क्षमाशील होते हैं, वे इस लोक में भी महान सम्मान प्राप्त करते हैं और परलोक में भी श्रेष्ठ गति को प्राप्त होते हैं।
जिनका क्रोध सदा क्षमा द्वारा वश में कर लिया जाता है, वे परम श्रेष्ठ लोकों में निवास करते हैं। इसी कारण क्षमा को परम धर्म कहा गया है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
हे कृष्ण! महर्षि काश्यप द्वारा कही गई इन गाथाओं को सुनकर तुम संतुष्ट हो जाओ और क्रोध मत करो।
हे द्रौपदी! क्रोध का परित्याग करो, क्योंकि स्वयं भीष्म पितामह इस क्षमा की प्रशंसा करेंगे और श्रीकृष्ण भी इसे अपनाएँगे।
आचार्य विदुर, संजय, कृपाचार्य और अश्वत्थामा भी सदा शांति और क्षमा का ही समर्थन करते हैं।
सोमदत्त, युयुत्सु और स्वयं महर्षि व्यास भी सदैव क्षमा को ही सर्वोच्च धर्म बताते हैं।
किन्तु दुर्योधन क्षमा के महत्व को नहीं जानता। वह इसे अपने योग्य नहीं मानता, जबकि मैं इसे अपनाने योग्य हूँ, इसलिए क्षमा मुझमें स्थित है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
यदि कोई व्यक्ति दूसरों द्वारा अपमानित या सताया जाता है, फिर भी वह प्रतिशोध की भावना से मुक्त रहता है और अपने मन को क्षोभ से रहित रखता है, वही सच्चा क्षमाशील कहलाता है।
हे युधिष्ठिर! यही आत्मज्ञानी पुरुषों का स्वभाव है और यही सनातन धर्म है। क्षमा और दया ही सच्चा धर्म है।
क्षमा केवल एक गुण मात्र नहीं, बल्कि जीवन की महान शक्ति और सच्चा धर्म है। यह केवल सहनशीलता नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और आत्मसंयम का प्रतीक है। महर्षि काश्यप के उपदेशों में क्षमा को ब्रह्म, सत्य, यज्ञ और तपस्या के समकक्ष माना गया है, क्योंकि यही वह तत्व है जो जीवन में संतुलन बनाए रखता है।
महाभारत के युद्ध के बाद जब क्रोध, प्रतिशोध और पीड़ा का वातावरण था, तब क्षमा का यह उपदेश मानवता के लिए एक प्रकाश स्तंभ के समान था। जो व्यक्ति क्षमा को अपनाता है, वह आत्मविकास की उच्च अवस्था को प्राप्त करता है। क्षमा केवल परोपकार नहीं, बल्कि आत्मकल्याण का भी मार्ग है। जो क्षमा करता है, वह न केवल अपने शत्रु को जीतता है, बल्कि स्वयं के भीतर शांति और आनंद का अनुभव करता है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
इसलिए, महर्षि काश्यप के इन उपदेशों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि क्षमा दुर्बलता नहीं, बल्कि वास्तविक बल और धैर्य की पहचान है। यह जीवन को सरल, शांत और दिव्यता की ओर ले जाने वाला पथ है। यदि संसार में क्षमा का भाव व्यापक रूप से स्थापित हो जाए, तो समाज में सौहार्द, प्रेम और सच्ची मानवता का संचार होगा।