भय एक ऐसी भावना है, जो हर किसी के मन में किसी न किसी रूप में छिपी होती है। कभी यह असफलता का भय होता है, कभी अकेलेपन का, तो कभी समाज की स्वीकृति खोने का। यह कहानी 'अर्जुन' नामक एक युवक की है, जो अपने आंतरिक भय को हराकर जीवन की एक नई दिशा खोजता है।
अर्जुन एक प्रतिभाशाली युवक था, लेकिन वह अपने भय के कारण कभी भी अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाया। उसका सबसे बड़ा डर था—असफलता। जब भी वह किसी अवसर को प्राप्त करता, उसका मन नकारात्मक विचारों से भर जाता—'क्या होगा यदि मैं असफल हो गया?' इस डर के कारण वह कभी भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाया। Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
एक दिन, अर्जुन को उसके गुरु, आचार्य राघव, ने बुलाया। उन्होंने अर्जुन से पूछा, "क्या तुम जानते हो कि तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु कौन है?" अर्जुन ने उत्तर दिया, "मेरा भाग्य? मेरी परिस्थितियाँ?"
गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं, तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु तुम्हारा ही भय है। अगर तुम इसे हरा दो, तो कोई भी तुम्हें रोक नहीं सकता।" Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
गुरु राघव ने अर्जुन को एक कार्य दिया। उन्होंने उसे एक जंगल में भेजा और कहा, "जब तक तुम अपने भय का सामना नहीं करोगे, तब तक वापस मत आना।"
अर्जुन जंगल में अकेला था। रात होते ही उसके मन में अनगिनत डरावने विचार आने लगे। अंधेरा बढ़ता गया और उसके मन का भय भी। उसने महसूस किया कि जैसे कोई छाया उसका पीछा कर रही हो। वह डर से काँप उठा और भागने लगा। Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
थोड़ी देर बाद, उसे महसूस हुआ कि वह अपने ही डर से भाग रहा था। उसने खुद को रोक लिया और सोचा, "अगर मैं हमेशा भागता रहूँगा, तो यह भय कभी समाप्त नहीं होगा। मुझे इसका सामना करना होगा।"
अर्जुन ने तय किया कि वह अपने भय का सामना करेगा। उसने अपने अंदर झाँका और सोचा, "मुझे असफलता से डर क्यों लगता है? क्या केवल असफल होने का भय ही मुझे आगे बढ़ने से रोक रहा है?"
वह अपने भीतर छिपे डर से बात करने लगा। उसने खुद से पूछा, "अगर मैं असफल हो गया, तो क्या होगा?" उत्तर मिला, "शायद लोग मेरा मज़ाक उड़ाएँगे।" लेकिन फिर उसने सोचा, "अगर मैं कोशिश ही नहीं करूँगा, तो क्या मैं कभी जान पाऊँगा कि मैं सफल हो सकता हूँ या नहीं?"
उसने अपने भय को चुनौती दी और निश्चय किया कि अब वह असफलता से नहीं डरेगा।
जब अर्जुन वापस गाँव लौटा, तो गुरु राघव ने उसे एक अवसर दिया। गाँव में एक प्रतियोगिता हो रही थी, जिसमें उसे भाग लेना था। यह एक वक्तृत्व प्रतियोगिता थी, जिसमें उसे सैकड़ों लोगों के सामने बोलना था।
पहले तो अर्जुन घबरा गया। उसकी हथेलियाँ पसीने से भीग गईं, और उसका गला सूखने लगा। लेकिन फिर उसने अपने भय को याद किया और खुद से कहा, "डर केवल मेरे मन में है। अगर मैं इसे स्वीकार कर लूँ और आगे बढ़ूँ, तो यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।" Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
उसने मंच पर कदम रखा और पूरी ताकत से अपनी बात रखी। शुरू में वह हिचकिचाया, लेकिन धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगा। जब उसका भाषण समाप्त हुआ, तो पूरा गाँव तालियाँ बजाने लगा। अर्जुन को एहसास हुआ कि भय केवल एक भ्रम था, जिसे उसने खुद ही बनाया था।
अर्जुन ने जीवन में हर छोटे-बड़े भय का सामना करना शुरू कर दिया। उसने नई चीज़ें सीखनी शुरू कीं, जोखिम उठाए और अपनी असफलताओं से सबक लिया। उसने जाना कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि यह सफलता की ओर एक कदम है। Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
गुरु राघव ने अर्जुन से कहा, "जिस दिन तुमने अपने भय को स्वीकार कर लिया और उसे चुनौती देना शुरू कर दिया, उसी दिन से तुमने जीत की राह पकड़ ली। अब कोई भी डर तुम्हें रोक नहीं सकता।"
यह कहानी हमें सिखाती है कि भय केवल एक मानसिक अवरोध है। जब तक हम उससे भागते रहेंगे, वह हमें सताता रहेगा। लेकिन जब हम उसका सामना करते हैं, तब हमें एहसास होता है कि वह उतना बड़ा नहीं था, जितना हमने सोचा था। अर्जुन की तरह, अगर हम भी अपने डर को चुनौती दें, तो हम अपने जीवन में हर बाधा को पार कर सकते हैं। Astro Motive Astrology by Astrologer Dr. C K Singh
इसलिए, आगे बढ़ें, अपने भय का सामना करें और अपने सपनों को साकार करें।