Atmashatkopanishad (also known as Atmashatkam or Nirvanashatkam, composed by Adi Shankaracharya) is a rare and profound Vedantic Upanishad that reveals the supreme non-dual truth of Brahman and Atman as One. Free from ritualistic practices and sectarian limitations, this ancient spiritual scripture stands as a shining expression of Advaita Vedanta, guiding seekers toward the direct realization of Moksha (liberation) through pure Jnana Yoga (Path of Knowledge).
क्या आप जानना चाहते हैं — मैं कौन हूँ?
क्या आपने कभी स्वयं से यह प्रश्न किया है — "मैं वास्तव में कौन हूँ?"
क्या मैं केवल यह शरीर हूँ? क्या मैं मन हूँ? बुद्धि हूँ? भावनाएँ हूँ?
या इन सबसे परे भी कुछ हूँ — शाश्वत, अचल, अमर? Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
क्या आप इस प्रश्न की गहराई में उतरने को तैयार हैं — जहाँ उत्तर शब्दों से नहीं, अनुभव से प्रकट होता है?
आज हम प्रवेश करने जा रहे हैं शंकराचार्य जी के अद्वितीय आत्मबोध के उस रहस्यलोक में —
जिसे उन्होंने आत्मषट्कम्, निर्वाणषट्कम् और आत्मषट्कोपनिषत् के रूप में प्रकट किया।
यह कोई कविता नहीं… यह कोई तत्त्वचिंतन नहीं… Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
यह स्वयं ज्ञान की ज्वाला है — जो अज्ञान की जड़ को भस्म कर देती है।
तो आइए — उतरें भीतर की उस यात्रा में, जहाँ हम जानें — "मैं वास्तव में क्या हूँ?"
मैं मन नहीं हूँ। बुद्धि नहीं हूँ। अहंकार या चित्त भी नहीं हूँ। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
मैं कानों से सुनता नहीं, जीभ से बोलता नहीं, नाक से सूँघता नहीं, आँखों से देखता नहीं।
मैं तत्वों से नहीं बना — न आकाश, न वायु, न अग्नि, न जल, न पृथ्वी।
मैं जीवन-शक्ति नहीं हूँ। प्राणों की किसी धारणा से मेरा संबंध नहीं।
न मैं शरीर की रचना हूँ, न उसकी परतों में छिपा हूँ। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
न मैं वाणी से प्रकट होता हूँ, न हाथों से कार्य करता हूँ, न पैरों से चलता हूँ, न इंद्रियों का कोई बंदन मुझे बाँधता है।
मुझमें न द्वेष है, न राग। न लोभ, न मोह।
न अहंकार का कोई अंश है, न ईर्ष्या का कोई छाया।
मैं न धर्म के नियमों में बंधा हूँ, न कामनाओं की दौड़ में।
मुझे न अर्थ का लोभ है, न मोक्ष की आकांक्षा — क्योंकि मैं तो पहले से मुक्त हूँ।
न पुण्य मेरा कुछ कर सकता है, न पाप मुझे छू सकता है।
न मैं सुख से बड़ा हूँ, न दुःख से छोटा। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
मुझे मंत्रों की आवश्यकता नहीं, तीर्थों की पवित्रता नहीं, न यज्ञों की आहुति चाहिए।
मैं न भोजन हूँ, न खाने वाला, न जो खाया जाए — मैं इन सबसे परे हूँ।
मैं न मृत्यु से डरता हूँ, न जन्म की परंपरा से बंधा हूँ।
मेरी कोई जाति नहीं, न कुल, न जन्मदाता, न जननी। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
न कोई मेरा बंधु है, न मित्र। न मैं किसी का शिष्य हूँ, न किसी का गुरु।
मैं सभी बंधनों से अछूता — अकेला, स्वतंत्र, शुद्ध और अखंड हूँ।
मैं निराकार हूँ — बिना रूप, बिना रंग।
मैं सर्वव्यापक हूँ — हर इंद्रिय में व्याप्त, हर चेतना में उपस्थित।
मुझमें सदा समभाव है — न मैं मुक्त होने को तरसता हूँ, न बंधन से डरता हूँ।
क्योंकि मैं स्वयं ही परमस्वरूप हूँ — जो अनादि है, अनंत है, अविनाशी है।
तो अब पूछिए स्वयं से — Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
क्या आप शरीर हैं? क्या आप मन हैं? क्या आप वह हैं जो दुखता है, डरता है, हारता है?
या आप वह हैं — जो इन सबसे परे है —
एक शांत, उज्ज्वल, अविचल, आनंदमय अस्तित्व —
जिसे शब्दों से नहीं, केवल मौन से जाना जा सकता है… Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
यही है आत्मबोध। यही है मुक्ति। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
यही है निर्वाण — जो शंकराचार्य ने आत्मषट्कम्, निर्वाणषट्कम् और आत्मषट्कोपनिषत् के माध्यम से हमें सौंपा।
एक शाश्वत उत्तर — उस प्रश्न का जो हर साधक के हृदय में धधकता है — मैं कौन हूँ?
आप शरीर नहीं हैं… आप मन नहीं हैं…
आप हैं — चैतन्य, शुद्ध, मुक्त, नित्यमुक्त आत्मा…
आप शिव हैं। आप चैतन्य हैं। आप चिदानन्द हैं। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. Chandan
॥ ॐ तत्सत् ॥
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं आत्मषट्कं सम्पूर्णम् ॥