Karuna Gita, Gopis' Painful Separation Unveiling Divine Wisdom from Srimad Bhagavatam. This heart-touching discourse, expressed through the anguished cries of the Gopis during their separation from Lord Krishna, reflects the pinnacle of Bhakti (devotion) and divine longing. Karuna Gita beautifully illustrates the intensity of spiritual love (Prem Bhakti), where the pain of separation transforms into a path of union with the Divine. This profound message from Sanatan Dharma inspires seekers to cultivate unwavering devotion, detachment from worldly desires, and complete surrender to God, leading to ultimate bliss and liberation (Moksha). 🕉️✨
श्रीमद्भागवत महापुराण में अनेक गाथाएँ हैं, जो भक्तों के हृदय में प्रेम, करुणा और भक्ति की गहरी भावना उत्पन्न करती हैं। ऐसी ही एक करुणामयी गाथा करुणागीता के रूप में प्रकट होती है, जिसमें ब्रज की गोपियाँ श्रीकृष्ण के वियोग में अपना हृदयस्पर्शी दुःख व्यक्त करती हैं। जब अक्रूर जी भगवान श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा ले जाने के लिए रथ पर बैठाते हैं, तब गोपियों का मन अत्यंत व्याकुल हो उठता है और वे अपनी वेदना को शब्दों में ढालकर भगवान से विनय करती हैं।
गोपियाँ विलाप करते हुए कहती हैं
अरे विधाता, तुम्हारे हृदय में कभी किसी के प्रति दया नहीं आती क्या तुम सबसे पहले जीवों को प्रेम और स्नेह में जोड़ते हो और जब वे प्रेम में मग्न हो जाते हैं, तब अचानक उन्हें अलग कर देते हो तुम्हारा यह खेल तो छोटे बच्चों की नादानी जैसा प्रतीत होता है, जिसमें बिना कारण ही प्रियजनों को बिछड़ने का दुःख सहना पड़ता है
तुमने हमें श्रीकृष्ण के सुंदर मुख के दर्शन कराए, जो घुँघराली अलकों से घिरा हुआ है, उन्नत कपोलों वाला और मंद-मंद मुस्कान से युक्त है, जो हमारे सारे दुःखों को हरने वाला है लेकिन अब जब तुम हमें इस दर्शन से वंचित कर रहे हो, तो यह बहुत ही अन्यायपूर्ण है Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
तुम तो अत्यंत निर्दयी हो, और विडंबना यह है कि तुम्हारा नाम अक्रूर (जिसका हृदय निर्मल और दयालु हो) है परंतु वास्तव में तुम क्रूर हो तुमने हमें जो नेत्र दिए थे, उन्हीं से हमारा प्रियतम कृष्ण दिखाया और अब उन्हें दूर ले जाकर हमारी आँखों का प्रकाश ही छीन लिया यह तो वैसा ही है जैसे कोई भोले-भाले लोगों को पहले सुख का स्वाद चखा दे और फिर वह छीन ले
यदि नंदनंदन श्रीकृष्ण वास्तव में क्षणभंगुर प्रेम करने वाले होते, तो वे हमारी ओर ध्यान ही नहीं देते लेकिन अब हमें विश्वास हो चला है कि वे अब हमारे बारे में नहीं सोचेंगे हाय, हम अपने परिवार, पति, घर-बार सबको छोड़कर उनकी दासी बन गईं, और अब वे हमें भुलाकर किसी और को प्रिय बना लेंगे Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
निश्चित ही मथुरा की स्त्रियों का जीवन अब आनंद से भर जाएगा प्रातःकाल उनके लिए शुभ होगा, क्योंकि वे अब श्रीकृष्ण के दर्शन कर सकेंगी वे जब हमारे प्रियतम के मुख की ओर निहारेंगी, उनके अधरों की मुस्कान और चंचल दृष्टि का रसपान करेंगी, तब उनकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाएँगी
श्रीकृष्ण तो अत्यंत मधुर वचन बोलने वाले हैं वे जिस किसी से भी बातें करते हैं, उसे अपने प्रेम में बाँध लेते हैं फिर भला वे जब नगर की सुंदरियों के मधुर शब्दों को सुनेंगे, तो वहाँ बंध न जाएँगे यह विचार करके हमारे हृदय को और भी अधिक पीड़ा हो रही है
आज अवश्य ही यादवों, भोजों, अंधकों, वृष्णियों और सात्वतों के लिए महान उत्सव का दिन होगा वे अपने गुणों के कारण सभी का हृदय हरने वाले श्रीकृष्ण को देखेंगे, और जो लोग मार्ग में होंगे, वे भी देवकीनंदन के दर्शन करके आनंद से भर जाएँगे
इतने कठोर हृदय वाले व्यक्ति को अक्रूर कहना ही अनुचित है क्योंकि वह तो बहुत ही निर्दयी निकला जिसने हमारी सांत्वना तक नहीं दी और श्रीकृष्ण को हमारे बीच से दूर ले जाने का प्रयास कर रहा है
अक्रूर तो निष्ठुरता की सीमा लांघ चुका है वह श्रीकृष्ण को रथ में बैठाकर चला जा रहा है, और उसके साथ वे अहंकारी लोग भी हैं, जो उसे इस कार्य में सहायता कर रहे हैं हमारे वृद्धजन और कुलगुरु इस अन्याय को रोकने में असमर्थ हो रहे हैं, और विधाता भी आज हमारे विपरीत ही खड़ा दिख रहा है Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
आइए, हम सभी मिलकर श्रीकृष्ण के मार्ग में बाधा डालें और उन्हें जाने से रोकें हमारे कुल के बुजुर्ग और संबंधी यदि हमें रोकने का प्रयास करेंगे, तो भी हम पीछे नहीं हटेंगे आखिर हम श्रीकृष्ण के प्रेम को कैसे भूल सकते हैं हम एक क्षण के लिए भी उनके बिना नहीं रह सकते, और अब विधाता हमें उनसे सदा के लिए दूर करने का षड्यंत्र रच रहा है
हे सखियों, जिनके प्रेम भरे बोल, मुस्कान, चंचल दृष्टि, आलिंगन और रासलीला ने हमें मोहित कर लिया था, वे श्रीकृष्ण आज हमसे दूर जा रहे हैं हमने उनके साथ जो मधुर क्षण बिताए, वे अब मात्र स्मृतियाँ बन जाएँगी बिना उनके हमारा जीवन अंधकारमय हो जाएगा हम इस घोर विपत्ति को कैसे सह पाएँगी Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
जो कृष्ण प्रतिदिन शाम को गोधूलि के समय अपने सखाओं के साथ गोधन को हांकते हुए लौटते थे जिनके बालों में धूल लगी होती थी, पुष्पों से सजी माला बिखरी होती थी, जो अपनी बांसुरी बजाते हुए, हँसते-मुस्कुराते अपने चितवन से हमारे मन को चुरा लेते थे अब जब वे हमारे बीच नहीं होंगे, तो हम कैसे जीवित रहेंगे
गोपियों की यह करुणागीता प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाती है उनका प्रेम सांसारिक नहीं था, बल्कि यह दिव्य भक्ति का प्रतीक था वे श्रीकृष्ण को केवल प्रेमी के रूप में नहीं, बल्कि अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय मानती थीं यह गीत हमें त्याग, समर्पण और निःस्वार्थ प्रेम का संदेश देता है Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
॥ श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कंध के अंतर्गत करुणागीता समाप्त ॥