Anugita, Anu Gita Gyan Unlocking Krishna's Secret Teachings in Mahabharata unveils the Hidden Spiritual Insights shared by Lord Krishna with Arjuna after the great war of Kurukshetra. This sacred dialogue, often considered a continuation of the Bhagavad Gita, explores Detachment, Self-Realization, and the Nature of Dharma, offering seekers a path to Inner Peace and Moksha (Liberation). Anugita’s Profound Teachings guide aspirants toward Higher Consciousness and Enlightened Living, making it a priceless gem of Sanatan Dharma. 🕉️✨
महाभारत के अश्वमेध पर्व में स्थित 'अनुगीता' एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश शामिल हैं। यह भगवद्गीता के पश्चात् का संवाद है, जिसमें आत्मा, कर्म, और मोक्ष के विषय में गहन चर्चा की गई है।
अनुगीता (महाभारत - आश्वमेधिक पर्व)
जनमेजय ने पूछा:
जब महात्मा श्रीकृष्ण और अर्जुन ने अपने शत्रुओं को परास्त कर दिया और सभा में विश्राम कर रहे थे, तब उन दोनों के बीच क्या वार्तालाप हुआ? Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
वैशम्पायन ने उत्तर दिया:
श्रीकृष्ण और अर्जुन, जो अब केवल अपने राज्य का आनंद ले रहे थे, सभा में बैठे आनंदित हो रहे थे। वे स्वजन से घिरे हुए एक अद्भुत स्थान पर पहुँचे, जो स्वर्ग के समान था। वहाँ पर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा—
अर्जुन बोले: Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
हे केशव! जब युद्ध आरंभ हुआ था, उस समय आपने जो ज्ञान मुझे दिया था, वह मैं भूल चुका हूँ। युद्ध के समय आपने जो दिव्य महात्म्य और आत्मज्ञान दिया था, वह फिर से बताइए। अब मुझे उन गूढ़ अर्थों को पुनः जानने की जिज्ञासा है, क्योंकि शीघ्र ही आप द्वारका जाने वाले हैं।
वैशम्पायन बोले: Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
अर्जुन की यह बात सुनकर श्रीकृष्ण ने उसे गले लगाया और प्रेमपूर्वक कहा—
श्रीकृष्ण बोले:
हे पार्थ! मैंने तुम्हें पहले गुप्त और सनातन ज्ञान का उपदेश दिया था, जो धर्म का मूल है और संपूर्ण लोकों का सनातन सत्य है। लेकिन तुमने उस समय इसे ठीक से नहीं समझा, यह मेरे लिए अत्यंत दुखदायी है।
हे पाण्डव! यह धर्म आत्मज्ञान को प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है, लेकिन इसे मैं फिर से पूरी तरह नहीं बता सकता। मैंने तुम्हें पहले ही परब्रह्म का ज्ञान प्रदान किया था, अब मैं तुम्हें एक प्राचीन कथा सुनाऊँगा जिससे तुम श्रेष्ठ गति को प्राप्त कर सकोगे। ध्यानपूर्वक सुनो। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
एक बार, एक ब्राह्मण स्वर्गलोक से आया, जो ब्रह्मलोक से भी आगे का ज्ञान रखता था। हमने उसका पूजन किया और उससे ज्ञान प्राप्त किया। अब मैं वही दिव्य ज्ञान तुम्हें सुनाने जा रहा हूँ, जिससे तुम्हारा मोह समाप्त होगा।
एक समय एक महान तपस्वी कश्यप नामक ब्राह्मण एक सिद्ध महापुरुष के पास गए, जो संसार के रहस्यों को जानने वाला था। कश्यप ने देखा कि वह सिद्ध महापुरुष अत्यंत शांतचित्त थे, वे सभी इंद्रियों को वश में रखने वाले और आत्मा के प्रकाश से देदीप्यमान थे। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
कश्यप उनके पास गए और उनके चरणों में गिरकर श्रद्धा सहित वंदना की। गुरु ने प्रसन्न होकर उनसे पूछा—
सिद्ध बोले:
हे ब्राह्मण! मनुष्य विभिन्न कर्मों और पुण्य-योगों के कारण अलग-अलग लोकों को प्राप्त करता है, लेकिन कोई भी स्थान शाश्वत नहीं होता। यहाँ तक कि देवताओं के लोक से भी पतन संभव है। इस संसार में न तो पूर्ण सुख है और न ही कोई स्थिर स्थिति। मनुष्य पुण्य और पाप के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेते हैं।
मैंने अनेक जन्म-मरण के चक्रों को देखा है। मैं काम, क्रोध और तृष्णा से मोहित होकर कष्टपूर्ण योनियों में गया हूँ। मैंने अनेक माताएँ और पिता देखे, अनेक प्रकार के सुख और दुख भोगे, प्रियजनों से बिछड़ने और अप्रिय लोगों के साथ रहने के कष्ट सहे।
अनेक बार मैंने धन खोया, अनेक बार अपमान सहा, और नरक की यातनाएँ भी भोगीं। अंततः, जब मुझे इन सभी अनुभवों से विरक्ति हुई, तब मैंने संसार के बंधनों को छोड़ दिया और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त किया। अब मैं मुक्त हो गया हूँ, अब मैं इस संसार में पुनः जन्म नहीं लूँगा। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
ब्राह्मण बोले:
इस संसार में किए गए शुभ और अशुभ कर्म कभी नष्ट नहीं होते। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार अलग-अलग जन्मों में भोगने पड़ते हैं। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
जब शुक्र और रज स्त्री के गर्भ में मिलते हैं, तब जीव अपने पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार उस शरीर को प्राप्त करता है। आत्मा अत्यंत सूक्ष्म होती है, लेकिन वह गर्भ में प्रवेश करते ही चेतना का संचार करती है।
मनुष्य अपने पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार शरीर धारण करता है और सुख-दुख भोगता है। जब तक वह आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक यह चक्र चलता रहता है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
मोक्ष प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को दान, तपस्या, ब्रह्मचर्य, सत्य और अहिंसा का पालन करना चाहिए। जो व्यक्ति पवित्रता, इंद्रिय-संयम, और माता-पिता की सेवा करता है, वह अपने जीवन को सार्थक बनाता है। जो धर्म के मार्ग पर चलता है, वह संसार-बंधन से मुक्त होकर परमपद को प्राप्त करता है।
ब्राह्मण बोले: Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
जो व्यक्ति किसी भी वस्तु की इच्छा नहीं करता, न मित्रता करता है, न शत्रुता करता है, वह मुक्त हो जाता है। जिसे जीवन और मृत्यु में समानता का अनुभव होता है, जो सुख-दुख, लाभ-हानि, प्रिय-अप्रिय में सम रहता है, वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
जो व्यक्ति अहंकार और ममता को त्याग देता है, जो सभी जीवों में आत्मा को देखता है, वही मुक्त हो जाता है। आत्मा निर्गुण, निर्लेप, अजर-अमर है। इसे जानकर व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
योग का अभ्यास करने से व्यक्ति आत्मा को देख सकता है, जैसे स्वप्न में व्यक्ति अपने अस्तित्व को देखता है। आत्मा शरीर से भिन्न होती है, जैसे मुञ्जा घास से उसका रेशा निकाला जाता है। योगी जब आत्मा का साक्षात्कार कर लेता है, तब वह किसी भी सांसारिक चिंता से मुक्त हो जाता है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
जो व्यक्ति योग साधना से आत्मा को जान लेता है, उसे फिर मृत्यु का भय नहीं होता। वह सभी इच्छाओं से मुक्त हो जाता है, और देवताओं की तरह दिव्य सुख प्राप्त करता है। वह जन्म-मरण के चक्र से ऊपर उठ जाता है और ब्रह्म से एकत्व प्राप्त कर लेता है।
श्रीकृष्ण बोले: Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
हे अर्जुन! यह ज्ञान अत्यंत दुर्लभ है और इसे केवल योग्य व्यक्ति ही प्राप्त कर सकता है। यह मनुष्यों के लिए नहीं, बल्कि देवताओं के लिए भी अत्यंत दुर्लभ है। इसे सुनकर जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति रखता है, वह शीघ्र ही मोक्ष को प्राप्त करता है।
जो व्यक्ति इस ज्ञान को ग्रहण कर लेता है, वह संसार के दुखों से मुक्त हो जाता है और सदा के लिए आनंदमय जीवन जीता है। यही अनुगीता का सार है। Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
॥ इति अनुगीता समाप्ता ॥