Ajgar Gita Practical Application in Daily Life, Mahabharata Wisdom imparts Timeless Teachings of Detachment, Patience, and Contentment, as narrated by a sage in the form of a serpent (Ajgar) in the Mahabharata, Vana Parva. This profound wisdom emphasizes Effortless Living, Acceptance of Destiny, and Surrender to the Divine Will, guiding seekers to lead a life of Inner Peace and Balance. By applying the Principles of Ajgar Gita in daily life, one cultivates Patience, Resilience, and Spiritual Awareness, paving the way for Ultimate Liberation and Harmony. 🕉️✨
अजगर गीता महाभारत के शांति पर्व में वर्णित एक महत्वपूर्ण शिक्षाप्रद प्रसंग है। यह प्रह्लाद और अजगर व्रत का पालन करने वाले एक मुनि के बीच हुआ संवाद है। इस गीता में संसार की नश्वरता, वैराग्य और संतोषपूर्ण जीवन का महत्व बताया गया है।
युधिष्ठिर पूछते हैं:
हे ज्ञानी! ऐसा कौन सा आचरण है जिससे मनुष्य इस संसार में बिना किसी शोक के जीवन व्यतीत कर सकता है? और वह कौन से कर्म करे जिससे उसे परम गति प्राप्त हो?
भीष्म कहते हैं:
हे युधिष्ठिर! तुम्हारे प्रश्न के उत्तर में मैं तुम्हें एक प्राचीन कथा सुनाता हूँ। यह संवाद प्रह्लाद और अजगर मुनि के बीच हुआ था।
एक दिन प्रह्लाद एक ब्रह्मज्ञानी मुनि से मिले, जो पूर्णत: शांत, संतुष्ट और चिंता से मुक्त थे। उन्हें देखकर प्रह्लाद ने पूछा:
"हे ब्राह्मण! तुम स्वस्थ, शक्तिशाली, मृदुभाषी, धैर्यवान और अनासक्त हो, फिर भी एक बालक की तरह इस संसार में विचरण क्यों कर रहे हो?" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"तुम न तो लाभ की कामना करते हो और न हानि होने पर शोक करते हो। ऐसा प्रतीत होता है कि तुम सदा तृप्त रहते हो और संसार से निरपेक्ष हो।"
"यह संसार निरंतर परिवर्तनशील है, फिर भी तुम इसमें आसक्त नहीं होते। तुम धर्म, अर्थ और काम की गतिविधियों में भी स्थिर प्रतीत होते हो।" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"तुम्हारी बुद्धि क्या है? तुम्हारा ज्ञान क्या है? तुम्हारा आचरण कैसा है? कृपया मुझे शीघ्र बताओ कि इस संसार में क्या श्रेष्ठ है?"
अजगर मुनि मुस्कुराकर उत्तर देते हैं:
"हे प्रह्लाद! मैंने इस संसार की प्रकृति को समझ लिया है। मैंने देखा है कि सभी जीव बिना किसी ज्ञात कारण के उत्पन्न होते हैं, बढ़ते हैं और फिर नष्ट हो जाते हैं। इसलिए मैं न तो प्रसन्न होता हूँ और न ही दुखी।"
"संसार में सभी प्रवृत्तियाँ स्वाभाविक रूप से होती हैं, उन्हें कोई बदल नहीं सकता। सभी प्राणी अपने स्वभाव के अनुसार कार्य करते हैं, इसलिए मैं चिंतित नहीं होता।"
"मैंने देखा है कि संसार में सभी संयोग और वियोग होते हैं। सभी संचित वस्तुएँ अंततः समाप्त हो जाती हैं, इसलिए मैं किसी भी चीज़ से मन नहीं लगाता।" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"जो भी उत्पन्न हुआ है, वह नष्ट होने वाला है। इसे जानकर मैं इसे अस्थायी मानता हूँ और इच्छाओं में नहीं फँसता।"
"मैंने देखा है कि जल में रहने वाले छोटे जीव हों या समुद्र के विशाल प्राणी, सभी नष्ट हो जाते हैं।"
"हे प्रह्लाद! पर्वत, वृक्ष और सभी स्थावर-जंगम जीव कालचक्र के अधीन हैं।"
"आकाश में उड़ने वाले पक्षी भी समय आने पर मृत्यु को प्राप्त होते हैं।"
"सूर्य, चंद्रमा और तारे भी अपने नियत समय पर अस्त हो जाते हैं।"
"इसलिए, जब यह सम्पूर्ण संसार ही मृत्यु के अधीन है, तो मैं किसी भी वस्तु से मोह क्यों करूँ?"
"मैं जो भी भोजन प्राप्त करता हूँ, उसे प्रसन्नतापूर्वक ग्रहण करता हूँ। कभी बहुत अधिक मिलता है, कभी बहुत कम, फिर भी मैं संतुष्ट रहता हूँ।" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"कभी मैं बड़े महलों में सोता हूँ, तो कभी धरती पर, लेकिन मेरा मन कभी विचलित नहीं होता।"
"कभी मैं साधारण वस्त्र पहनता हूँ, तो कभी बहुमूल्य वस्त्र भी, लेकिन मैं उनमें कोई भेदभाव नहीं करता।"
"जो कुछ भी बिना प्रयास के प्राप्त होता है, मैं उसे स्वीकार करता हूँ और उसकी लालसा नहीं करता।"
"मैंने अजगर की भांति रहने का व्रत अपनाया है, जिसमें कोई चिंता नहीं होती, कोई इच्छा नहीं होती और जो पूर्ण शांति प्रदान करता है।" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, वह अनासक्त, शांतचित्त और भयमुक्त रहता है।"
"मैं देखता हूँ कि संसार में लोग लोभ और तृष्णा में फँसे रहते हैं और जो उन्हें प्राप्त नहीं होता, उसके लिए दुखी होते हैं।"
"लेकिन मैंने इस तृष्णा को छोड़ दिया है, इसलिए मैं अपनी आत्मा में स्थित होकर पूर्ण शांति में रहता हूँ।"
"सुख-दुःख, लाभ-हानि, जीवन-मरण – यह सभी विधि के अधीन हैं। इसे जानकर जो व्यक्ति समभाव से जीवन व्यतीत करता है, वही सच्चा सुखी होता है।" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"जो व्यक्ति लोभ, मोह, अहंकार और इच्छाओं से मुक्त होकर जीवन जीता है, वही असली आनंद का अनुभव करता है।"
"मैं किसी भी सांसारिक वस्तु की इच्छा नहीं करता, इसलिए मेरा मन सदा शांत रहता है।"
"संसार के ज्ञानीजन भी विभिन्न मतों पर वाद-विवाद करते रहते हैं, लेकिन वे सत्य से अनभिज्ञ रहते हैं।"
"जो व्यक्ति अजगर की भांति संतोषपूर्वक जीवन व्यतीत करता है, न अधिक चाहता है, न किसी चीज़ से विरक्त होता है, वही वास्तविक आनंद और मोक्ष को प्राप्त करता है।"
भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा:
"हे युधिष्ठिर! जो व्यक्ति अजगर के समान संतोषपूर्वक जीवन व्यतीत करता है, जो इच्छाओं से मुक्त रहता है, वही सच्चे सुख का अनुभव करता है।" Astro Motive: Philosophy, Spirituality & Astrology by Acharya Dr. C. K. Singh
"ऐसा व्यक्ति भय, लोभ, मोह और क्रोध से मुक्त होकर संसार में विचरण करता है। यही सच्चे आनंद और मोक्ष का मार्ग है।"
अजगर गीता हमें सिखाती है कि जीवन में संतोष और वैराग्य ही सच्चे सुख का आधार है। जो व्यक्ति इच्छाओं से मुक्त होकर जीता है, वह इस संसार में शांति और आनंद से रह सकता है।
यह ज्ञान आज के जीवन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत काल में था। यदि हम अजगर मुनि की शिक्षा को अपनाएँ, तो हम भी जीवन में शांति और संतोष पा सकते हैं।